Friday, June 11, 2010

सुख-दुःख

दर्द कितना भी बड़ा हो
चाहे किसी का भी हो
बाँट लेने के लिए ही
किसी  को भेजा गया है
पूछता है कवि तुम्ही से
तुमने किसी का दर्द बांटा  है कभी?
.....
ख़ुशी कितनी भी बड़ी हो
आई कहीं से भी
बाँट देने के लिए ही
किसी से तुमको मिली है
पूछता है कवि तुमसे
तुमने किसी को ख़ुशी बांटी   है कभी?
...
मिली यह जिंदगी जो है
जितनी भी बड़ी हो
सुख-दुःख दोनों के लिए है
समभाव से सुख-दुःख को
पूछता है कवि तुम्हीं  से
तुमने अभी तक क्या  न बांटी  ज़िन्दगी?


कव्यगंगा,रांची एक्सप्रेस,४/०९/२००५ को प्रकाशित

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