तोयं हमर हकिस के कन्हैया
हाम तो आइज ले नइ जाने पारली
बेइर बेइर हामर मन
अरज से अचरज से तन्मयता से पूइछ हे :
'ई कनहाइ तोर के हके ? बुझ तो !'
बेइर बेइर हामर से सखी मन
चउल से , कटाछ से, कुटिल संकेत से पूइछ हयं:
"कनहाई तोर के हके रे, बोलिस काले नइ ?"
to be continued...
सामपियारी: मंजर बियाह पृष्ठ 41
हाम तो आइज ले नइ जाने पारली
बेइर बेइर हामर मन
अरज से अचरज से तन्मयता से पूइछ हे :
'ई कनहाइ तोर के हके ? बुझ तो !'
बेइर बेइर हामर से सखी मन
चउल से , कटाछ से, कुटिल संकेत से पूइछ हयं:
"कनहाई तोर के हके रे, बोलिस काले नइ ?"
to be continued...
सामपियारी: मंजर बियाह पृष्ठ 41
fluent writing
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