Tuesday, August 20, 2013

ई बदरी बइरसी

ई बदरी बइरसी
ई बदरी बइरसी

पुरबे से उठाय हे
पछिमे तक जाय हे
उतरे और दखिने
सगरो पसराय हे
कईटको फांक नी दीसे
अकासे ढंपाय हे

आब धरती सरसी
ई बदरी बइरसी

गरजत हे ना ठनकत हे
घनगर गुन्गुवात हे
ई बदरी गंभीर बुझात हे
पोटराय हे चागुरदी से
धरती के हरसल हय

श्याम गुनी हुलसी
ई बदरी बइरसी

जोन खेत अरियाल हे
पइन नाला सोझिआल हे
बाँध पिंड बरिआर आउर
रोके के झोंकेक तइआर हय

तहां पानी छलकी
ई बदरी बइरसी

सुरु सीरी सीरी समसी
ई बदरी बइरसी


नी मानी ई बदरी
कुछ नी राखी अपन ठीन
सब के उझईल देई
'कृष्णं बन्दे जगद्गुरुम्'
करिया घनश्याम हय
आब केऊ नइं तरसी
ई बदरी बइरसी

अथाह समुन्दर कर
पानी तो नुन्छार हय
नून के छोइड के
गुण के उठाय के
भइर के ह्रदय में
चइल देहे बांटक लेगिन
नेवईर नेवइर , झुइक झुइक
सउब के बइरसाय देवी
तरसल मनके
सरसाय देवी
पइनगर आउर गुनगर हय
उदार हय , फलदार हय
ई नेवरी आउर लहसी
ई बदरी बइरसी

[छन - दू -छन: पृष्ठ संक्या 35 ] 

चल रे टमटम


चल रे टमटम 

साइठ बछर लंबा डहर 
कय कोस
नी जानोंन 
जानोन 
साइठ बछर लम्बा डहर 


दू बछर कर छऊआ 
बाप हर बिगे खोजे 
मांय कर अंचरा में 
का करो मांय 

मांग कर लाल बिछरत हे 
कोइख कर लाल पिछरत हे 

झेन्झरो अंचरा मांय कर 
सेकरे छाईह तर 
रउद अंधड़ 
बरखा झईर 
किटी किटी पाला 

बीत गेलक कोनो रंग 
सतरह गो जेठ 
सतरह गो हथिया 
ओतने पूस 
कान्हो हेराल रहे फागुन 
जोताय गेलक टमटम में 
नावां बछेड़ा 
कतना सवार 
कतना असबाब 
देहाती संडक 
गाडी कर रोबाब 
जवानी कर शान 
चाइल 
करे लाग्लक गान 
चल रे टमटम 
चल चल चल 

धइन देह आइज ले 
राखले तो मान 
एहे रंग संग देह 
नझो जात प्राण 

ले पार तो लगाम फेइर 
काइल होत  बिहान
ख़ुशी मने कईर पार  तो 
फेइर प्रयाण गान 

चल रे टमटम 
चल चल चल 
 
  [अगम बेस: page no. 36 . नागपुरी काव्य संग्रह] 

परकाला


कईसन  सुन्दर रहे
हाथ में परकाला 
चेहरा के संगे संग 
लील अकास 
हरियर धरती 
सघन बन 
झरना नदी 
खान खदान 
फैक्ट्री मनक चिमनी मन 
रीझे रीझे हूलकत रहयं 
कतई कतई बात कान में
 कहत रहयं
लोभावान 
सोहावन 
मनभावन 

***

का रंग गिर गेलक 
कईसन दरईक गेलक 
मुंहक छवी छितिछान 
संगे धरती आसमान 
छाकछुन भे गेलक 
भेन्सुवावान 
डरडरावन 
मनतोरन

[चोरेया , 2005 पृष्ठ ३२ अगम बेस ]