चित चोरी गुपुते सोहाय
नहीं करू छेड़ छाड़ सुनु छैला नन्दलालहम्हों जे देबैं गरिआय तलेना कह्बयं ,
गोपीन के बोलेहों नई आय।।
गगरी के देलें फोरी फारलेन अनारी सारी
नींदा करबेन घरे जाय तले ना कहबयं
गोपीन के बोलेहों नई आय।।
घरे दही चोरी करैं घाटे बले हिया हरयं
चित चोरी गुपुते सोहाय तले ना कहबयं
गोपीन के बोलेहों नई आय।।
लेहु छुपे छुपे 'धन' तन मन सजीवन
डावं डावं होवे नहीं हाय तले ना कहबयं
गोपीन के बोलेहों नई आय।।
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