आज पूनम है।
दूध सी उजली
निशा शोभित
पवन गमन वश दोलित
तरुपत्र कर इंगित
पा-पा प्रचलित
चांदनी ज्यों तड़ित
अस्थिर मरुत
अवर्णनीय कलित
सुरभित जग है।
आज पूनम है।
सरसिज संकुचित
कुमुदिनी प्रस्फुटित
सरजल विचलित
लहरी अकथित
कौमुदी आभासित
मुकुरवत विरचित
विदयुतरेख जलगत
अकथ्य छवि अनुगत
कसार में कवी है।
आज पूनम है।
first poem by poet dhanendra prawahi.
it was written around 1961, by this time he was just 15 year old ,
a student of class 8.
दूध सी उजली
निशा शोभित
पवन गमन वश दोलित
तरुपत्र कर इंगित
पा-पा प्रचलित
चांदनी ज्यों तड़ित
अस्थिर मरुत
अवर्णनीय कलित
सुरभित जग है।
आज पूनम है।
सरसिज संकुचित
कुमुदिनी प्रस्फुटित
सरजल विचलित
लहरी अकथित
कौमुदी आभासित
मुकुरवत विरचित
विदयुतरेख जलगत
अकथ्य छवि अनुगत
कसार में कवी है।
आज पूनम है।
first poem by poet dhanendra prawahi.
it was written around 1961, by this time he was just 15 year old ,
a student of class 8.
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