Thursday, April 4, 2013

आइग ,आइग, आइग

आइग ,आइग, आइग ....
जंगल कर आइग।


भागत हयं मनुख
जीव, जंतु जानवर
पोड़थे बन हरियर
अचरज आउर डर
त्राहिमाम , आइग .....

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ॐ अग्निमीले .......अग्निदुतं ....
अग्नये नम: ......'वेद
पूजा ...जइग .... होम ..

.....आइग माने प्राण
भगवान्
सुरुज नारायण
इंजोर आउर गरमई
जिनगी माने आइग।।

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जंगल कर आइग
समुन्दर कर आइग
पेट भीतर आइग
मुड़सिरवे तारे आइग ....

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नाना बरन रूप कर
सिरजन में आइग

आइगे से तरवाइर
बन्दूक
रायफल
मोटर गाडी
पानी जहाज
उड़न जहाज
बम चाहे अणु बम
मुट्ठाय में आइग।

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मनुख कर मन में आइग
बचन में आइग
करम में आइग।

दहेज़ खातिर बियउतही के
जीते पोड़ावेक लेगिन
माती तेल पिटरोल
धरावेक लेगिन आइग।

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कासमीर कर फुल-पतइ
गाछ-विरिछ आउर सुंदइर
जनी -मरद, धरम -ईमान
गीता ,ज्ञान, आउर कोरान
पोड़ावेक ले ,जरावेक ले
खउराहा आइग।

६ दिसेम्बर बेगाड़ेक लेगिन आइग
११ सितम्बर बोलावेक लेगिन आइग
११ सितम्बर पहुंचावेक लेगिन आइग
तेकर बदला चूकाहोंक लेगिन आइग
गोधरा कर खेला खेलुवावेक लेगिन आइग
अछरधाम मंदिर उड़ावेक लेगिन आइग

इ तो मनुख कर दुश्मन हय आइग?

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पुरुब-पछिम-उत्तर -दखिन
तरे-उपरे आइग

मनुख जात कर काया में
करेजा में आइग

धधकतहे आठो पहर
घिरनाकर आईग ....

लप लप लपकपहे
बदला कर आइग

जीते पोड़ाय वाला आइग।

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नरक कर आइग
दोजख कर आइग

बारहों  सुरुज कर आइग
क़यामत कर आइग

करनी कर हिसाब
और निसाफ  होई एक दिन
गुनाह कर सजाई खातिर
आउर चाहि आइग

ई भयानक आइग।

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इरखा ,डाह ,अपसवारथ
भेद- भाव सब अकारथ
पुरुब- पछिम,  उंच- नीच
गोर-करिया , कलह- कीच
कुसासन ,भ्रष्टाचार
उग्रवाद अत्याचार
आतंक कर होली
जलावेक लेगिन आइग

मसाल जोइत आइग।

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मंदिर में आरती
महजिद में दिया
गुरुद्वारे जगमग जोती
धुप-दीप
दिया-बाती
चागुरदी इंजोर खातिर
संझा -बाती करेक लेगिन
मधुर जोइत आइग

धइन धइन आइग।।।।।।

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[छन - दू -छन: पृष्ठ संक्या ३७ ]



कवर पेज :अगम बेस, नागपुरी काव्य संग्रह


बसंत- बिहान

बसंत- बिहान

ऋतू बसंत में
डाइरह- डाइरह कर
नावां-नावां
कोमल- कोमल
पात-पात कर
चिकनइ ऊपर
पियल नियर
पिछरत -पिछरत
सम्हरत- सम्हरत
सुरुज किरिन
पोंहचल उपवन में
कहे गुलाब में
'संगी रे '
उठ, होलउ बिहान।

[छन-दू-छन: पृष्ठ संख्या ५२ , नागपुरी काव्य संग्रह ]

बोध




तोर सपना सच ना होलक।
उ सपने रहे
से आइन्ख से रहे बड़
टूटबे  करतलक
टुईट  गेलक.

ना बह लोर
तोयं आपन  घर के ना छोड़
बाहरे हेराय जाबे
बाला अगम तातल हय
गरीब कर जिनगी तइर
छान के छनइक जाबे

एक तो आँख अपने सुकुवार
सेकर देखल सपना
आउरो सुकुवार
उकरो ले सुकुवार
आँइखक लोर

सुन,
दरइक गेलक सपना
तो ना ढरक
ना बरिस
तोंय आँइखे में रह
तोके
और कहाँ मिली  ठौर

तोर लेगिन गीता कर उपदेश
सुख-दुःख लाभ -हाइन के
बरोबइर बुइझ-जाईन के
ज्ञानी होय के रह

नइ  मिललक सुख
नइ हांसले
नइ गाले
दुःख तो पाले नि पूरा.
इकर से नइ हारबे
इकर से नइ हेराबे
तो स्थितप्रज्ञ होय जाबे
अरे भाइ
आधा तो अधे सही.

 
[अगम बेस: page no. 28. नागपुरी काव्य संग्रह] 

Tuesday, April 2, 2013

कवर पेज ...लोर -नागपुरी महाकाव्य


कवर पेज ...लोर -नागपुरी महाकाव्य ....नारी विमर्श पर नागपुरी भाषा में पहली रचना

कवर पेज ---छन दू छन

कवर पेज ---छन दू छन ...नागपुरी काव्य संग्रह

cover page of सामपियारी






























the cover page of my recently published book....सामपियारी